शनिवार, मई 15, 2010

चंद अशआर


दिल के रिश्ते अजीब होते हैं, दिल को क़ातिल अजीज़ होते हैं
आप जितने ही ज़ख्म देते हैं, आप उतने करीब होते हैं

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हुस्न गर मिल जाए कहीं तुमको तो उसको मेरी भी एक सदा देना
जाने कितनों को मौत तूने बख्शी है, और तेरा काम था ज़िन्दगी देना...
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हौसला 9th May 99 10:00 pm

चिर स्वप्नों में रची बसी अभिलाषा के शव को ढोता
मै आता घनघोर तम के पथ में दीप जलाता
कंटकों से पूर्ण पथों पर लहूलुहान पैरों से चलता
पीड़ा रखता मन ही में आँखों से ना कतरा छलकाता
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दुर्निवार उन शूल सदृश स्मृतियों की जो चिन्ह अमिट
उन तीखे व्यंगों, उफासों के घावों को जो चिर स्मृत
उन्हें भुलाने के प्रयास में जो याद मुझे सब आता
लगता ऐसा जैसे मै भीगे पातों से आग जलाता
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नियति feb 99

नियति

तुम ढूढ़ते रहे धूल में आसमान के टुकडे

गैरों की भीड़ में अपनापन तलाशते रहे

दोस्तों को ठोकर मार जो आये थे तुम॥

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तुम्हे दर्द मिला और तन्हाई भी

क्यूँ की प्यार की कद्र तुमने कभी ना जानी

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रास्तों की धूल फांकने की आदत थी तुम्हे

इसीलिए आशियाने कभी तुम्हे रास ना आये

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तुम सूखे गले से मल्हार गाते रहे

और जब बरखा आई!!!!!!!!!

तुम्हारा घर छोड़ हर जगह बादल बरसे....

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गुरुवार, मई 13, 2010

नसीब

रंजिशें मुझसे कर गया कोई,
मुद्दतों मेरे संग रहा कोई...

दिल को माँगा बड़े अदब के साथ,
और फिर दिल जला गया कोई...

मेरी आँखों में फिर जल उठे चराग़
फिर से तारीकी बन गया कोई...

उससे बिछड़ा तो मैंने जान लिया
मेरे अंदर ही मर गया कोई...

बुधवार, मई 12, 2010

रवायतें...


चन्द घंटों में दिन रात बदलते हैं

वक्त के साथ इंसान बदलते हैं


रुदाद-ऐ-इश्क मुख़्तसर ही बेहतर है

पैकर हो जाए तो किरदार बदलते हैं


अजनबी पहले तो मिलते हैं बड़े खुलूस के साथ,

रब्त बढ़ जाएँ फिर जज़्बात बदलते हैं


"अभिषेक" शायर नयी हवा के हैं

महफिलें बदलें और अशआर बदलते हैं

सोमवार, अप्रैल 26, 2010

जमाना....

सांस आती है सांस जाती है,
ज़िन्दगी अपनी जगह पाती है

हम भी पानी हैं, रस्ता ले लेंगे
हमको जीने की अदा आती है

दोस्ती के नए पैमाने हैं
दुश्मनी कमतर है, खुद शर्माती है

लोग अब मौत में ही जीते हैं
ज़िन्दगी कम किसी पे आती है

उनसे कहना बुरा नहीं "अभिषेक"
आईने पे खुद की शकल आती है....